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  • पौराणिक मान्यता के अनुसार इस स्थान पर देवी सती के केश गिरे थे।

वृंदावन। चैत्र नवरात्रों में योगीराज भगवान श्री कृष्ण की क्रीड़ा स्थली पूरी तरह देवीमय नजर आ रही है और पूरे नवरात्रों मैं जगह जगह विशेष धार्मिक आयोजन भी आयोजित किए गए हैं। इसी क्रम में अष्टमी और नवमी की मध्यरात्रि शक्ति पीठ देवी कात्यायनी मंदिर में संधि पूजा आरती की गई।


चेतन नवरात्रों के पावन मौके पर धर्म नगरी वृंदावन में चारों ओर देवी की गुणगान और धार्मिक अनुष्ठान श्रृंखलाबद्ध तरीके से आयोजित किए जा रहे हैं। बुधवार को जहां देवी मंदिरों और घरों पर देवी के आठवें स्वरूप महागौरी का पूजन अर्चन किया गया वही मां कात्यानी देवी सिद्ध पीठ में रात्रि को विशेष संधि पूजा आरती का आयोजन किया गया। जिसमें शामिल होने के लिए भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा। पौराणिक मान्यता के अनुसार कात्यानी देवी का मंदिर उसी स्थान पर बना हुआ है जहां सती के किस गिरे थे। नवरात्रों के प्रथम दिन से ही मंदिर में विशेष धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जा रहा है। वर्ष में दो बार होने वाली विशेष आरती में शामिल होने के लिए भक्त दूर-दूर से वृंदावन पहुंचते हैं। क्योंकि अष्टमी तिथि के अंत और नवमी तिथि के आरंभ में यह आरती होती है इसीलिए इसे संधी पूजा आरती कहा जाता है। महानवमी पर प्रातः से ही देवी मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी और भक्तों ने मां सिद्धिदात्री का पूजन-अर्चन किया। व्रतधारी भक्तों ने घरों में हवन-पाठ व पूजन तथा मातारानी को हलवा-चना व पकवान् का भोग अर्पित कर कन्या-लांगुराओं को श्रद्धापूर्वक भोजन कराकर एवं दक्षिणा व उपहार भेंट कर अपने व्रत का पारायण किया।

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